पा कर खोने का एहसास है
मन क्यों आज फिर उदास है
मिला जो उसकी खुशी नही
ना मिला जो लगे वो खास है
होगी पूरी तलाश ए मन्ज़िल ए ज़िंदगी
एक मुद्दत से बस यही आस है
जो थमी तो ठंडी होगी मौत सी
जो मुसलसल है वही साँस है
बावरा मन भटकता आवारा सा
पहचान जो सुकूँ आस पास है
ज़िंदादिली ही है तरकीब प्यारे
झूम ले नही तो ज़िंदा लाश है
डॉ प्रतीक तिवारी
मन क्यों आज फिर उदास है
मिला जो उसकी खुशी नही
ना मिला जो लगे वो खास है
होगी पूरी तलाश ए मन्ज़िल ए ज़िंदगी
एक मुद्दत से बस यही आस है
जो थमी तो ठंडी होगी मौत सी
जो मुसलसल है वही साँस है
बावरा मन भटकता आवारा सा
पहचान जो सुकूँ आस पास है
ज़िंदादिली ही है तरकीब प्यारे
झूम ले नही तो ज़िंदा लाश है
डॉ प्रतीक तिवारी